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Saturday, June 20, 2009

थ से थाली........थ से थन









कहता है, प्यारे बच्चों,
कुछ काम की बात बताऊँ,
अक्षर, शब्द के बारे में,
मैं आज तुम्हें पढ़ाऊँ।
अक्षर से मिलकर बनते शब्द,
शब्दों से वाक्य बन जाता,
इन वाक्यों के प्रयोग से,
कोई अपनी बात कह जाता।
कोई लिखता
कविता,
कोई कहानी लिख जाता,
इन शब्दों की महिमा से ही,
कोई बड़ा लेखक बन जाता।
तुम भी शब्दों का रखो ज्ञान,
पढ़ो-लिखो और बनो महान,
पढ़ना-लिखना है सुखदाई,
इसी से मिलती सभी बढ़ाई।।
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१.
से थाली, प्यारी-प्यारी,
इसमें खिचड़ी, कितनी सारी,
सीता खिचड़ी खा रही है,
गीता को भी खिला रही है।
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२.
से थन, गैया का थन,
दूध निकले जब हो दोहन,
दूध पीकर हम बने बलवान,
गाय हमारी माँ समान।

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-प्रभाकर पाण्डेय
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2 comments:

रंजन said...

बहुत सुन्दर प्रयास..

(इस ब्लोग की कड़ी आदि के ब्लोग में जोड़ रहा हूँ)

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर ब्लोग है\बधाई।

 
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