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Tuesday, August 18, 2009

भ से भक्त.........









कहता है प्यारे बच्चों,
संज्ञा के बारे में बताता हूँ,
आज थोड़ा अलग हटकर,
मैं व्याकरण तुम्हें पढ़ाता हूँ।
किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान आदि,
के नाम को संज्ञा कहते हैं,
हर वस्तु, वह जगह संज्ञा है,
जिसमें हम सब रहते हैं।
दिल्ली, मुम्बई, कोलकता,
हैं संज्ञा के ही उदाहरण,
गंगा, सरस्वती, यमुना,
कुरान, गीता व रामायण।
पृथ्वी, पर्वत, तारे सारे,
सब संज्ञा कहलाते हैं,
मन के सारे भाव, दुख-सुख भी,
संज्ञा के अंतर्गत आते हैं।।
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से भगत, भक्ति है करता,
भगवन नाम जपा है करता,
सादगी से जीवन है जीता,
छल-कपट से दूर है रहता।
निस्वार्थ भाव से सेवा करता,
सत्य, अहिंसा के पथ पर चलता,
उसका जीवन सदा खुशहाल,
उसे ना छुए माया-जंजाल।।

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_____________प्रभाकर पाण्डेय_____________

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